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a painting of a hindu god sitting on a lotus
Prompt
नवरात्र की कथाप्राचीन समय में राजा सुरथ नाम के राजा थे,राजा प्रजा की रक्षा में उदासीन रहने लगे थे,परिणाम स्वरूप पडौसी राजा ने उस पर चढाई कर दी,सुरथ की सेना भी शत्रु से मिल गयी थी,परिणामस्वरूप राजा सुरथ की हार हुयी,और वह जान बचाकर जंगल की तरफ़ भागा।उसी वन में समाधि नामका एक बनिया अपनी स्त्री एवं संतान के दुर्व्यवहार के कारण निवास करता था,उसी वन में बनिया समाधि और राजा सुरथ की भेंट हुई,दोनो का परस्पर परिचय हुआ,वे दोनो घूमते हुये,महर्षि मेघा के आश्रम में पहुंचे,महर्षि मेघा ने उन दोनो के आने का कारण पूंछा,तो वे दोनो बोले के हम अपने सगे सम्बन्धियों द्वारा अपमानित एवं तिरस्कृत होने पर भी हमारे ह्रदय में उनका मोह बना हुआ है,इसका कारण क्या है?महर्षि मेघा ने उन्हे समझाया कि मन शक्ति के आधीन होता है,और आदि शक्ति के अविद्या और विद्या दो रूप है,विद्या ज्ञान स्वरूप है,और अविद्या अज्ञान स्वरूप,जो व्यक्ति अविद्या (अज्ञान) के आदिकरण रूप में उपासना करते है,उन्हे वे विद्या स्वरूपा प्राप्त होकर मोक्ष प्रदान करती हैं।इतना सुन राजा सुरथ ने प्रश्न किया- हे महर्षि ! देवी कौन है? उसका जन्म कैसे हुआ? महर्षि बोले- आप जिस देवी के विषय
INFO
Type
Text-to-imageWj
Date Created
October 4,2024Wj
Dimensions
1024×1024pxWj
Model
CKPT
SDXL
1.0
Run Count 824284
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Prompt 1: a colorful painting of a hindu deity sitting on a lotus flower. the deity is surrounded by several other figures, including a man and a woman, who are also sitting on lotus flowers. the painting is set against a blue background, and the deity is wearing a crown. the figures are positioned in various ways, with some sitting closer to the deity and others further away. the painting is a vibrant and detailed representation of hindu mythology.
Prompt 2: a colorful painting of a hindu deity sitting on a lotus flower, surrounded by a group of people. the deity, dressed in yellow robes, is positioned in the center of the painting, with some of the people appearing to be praying or admiring the deity. there are several individuals in the scene, with some standing closer to the deity and others further away. the painting captures the essence of the deity's presence and the reverence of the people around it.